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शिव सी शांति

शिव सी शांति चाहिए तो कण्ठ मे ज़हर, गले मे विषेला साँप, बगल मे दुर्गा की आग, जटा मे रौद्र गँगा क्या तुम्हें अब भी लगता हे शांति सस्ती है?
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शायद इसे ही शुकून कहते है ....!!

ये अकेला मन, ये ख़ाली पन्ने कुछ बारिश की बुँदे, और चाय की चुस्की शायद इसे ही शुकून कहते है ।। ये कूदते ख़याल, ये भटकता दिमाग और इनको चुपचाप निहारता ये स्वभाव शायद इसे ही शुकून .....!! ऊँची पहाड़ी मंजिलें, ये टेढ़ी मेड़ी राहे और इसमें धीरे धीरे  बढ़ते ये कदम शायद इसे ही .............!! यु घबराना, फिर सांसो का चढ़ जाना और मन का सब समज पाना शायद ..................!!

भूख़

ये जीवन की भूख़ ने लड़ा रखा है मेरे दोस्त, वर्ना हमने तो कुत्ते बिल्लियों को भी २ गज की दुरी में चैन  से सोते देखा है। 

मन के ख़याल - ५

चीखने चिल्लाने का मन तो मेरा भी करता है बहुत। पर कब, कहा, क्यों, किस पर बस यही सोच कर चुप हो जाता हु॥

Wrong Nerve

World are like don't touch the nerve of sadness.  I am like touch that  observe it  understand it  repair it so you can fix that faulty nerve, make it useful in your life.